राष्ट्रीय

प्राइवेट स्कूलों में बोर्ड पैटर्न पर होने वाली पांचवी-आठवीं परीक्षा पर हाईकोर्ट की रोक

भोपाल। प्राइवेट स्कूलों में बोर्ड पैटर्न पर होने वाली पांचवीं-आठवीं की परीक्षा पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग नीतियों को गलत माना है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सत्र 2021-22 से सरकारी स्कूलों में पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षा शुरु की है। वर्ष 2022-23 से इनमें प्राइवेट स्कूलों को भी शामिल करने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने सत्र शुरु होने के बाद 12 सितम्बर 2022 को पत्र जारी किया था। साथ ही कहा कि प्राइवेट स्कूलों के छात्रों को अद्र्धवार्षिक परीक्षा के  बीस फीसदी अंक वार्षिक परीक्षा से जुड़ेंगे।

अद्र्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा एनसीईआरटी यानि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम के सिलेबस पर होंगी। प्राइवेट स्कूलों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि बोर्ड परीक्षा का आदेश सत्र शुरु होने के बाद आया है। दूसरा मप्र के सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी यानि मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम व अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में एनसीआरटी का सिलेबस लागू होता है। दोनों सिलेबस में हिंदी, हिंदी स्पेशल व संस्कृत की किताबें अलग-अलग हैं। इसे लेकर प्राइवेट स्कूल संचालक संचालक राज्य शिक्षा केंद्र धनराजू एस. के पास पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होता है। इन्हीं किताबों से बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

अब एनसीईआरटी सिलेबस पर परीक्षा होगी, तो इसमें बच्चों में भ्रम पैदा होगा। राज्य शिक्षा केंद्र ने प्राइवेट स्कूलों की बात नहीं मानी। वह मनमानी कर परीक्षा कराने पर अड़ा रहा। इसे लेकर प्राइवेट स्कूलों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता संस्था के सदस्य स्कूलों में एससीईआरटी सिलेबस से बोर्ड परीक्षाएं करवाने पर रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एक सिलेबस से पढ़ाई वाले स्कूल में  दूसरे सिलेबस के बोर्ड परीक्षा करवाने के शिक्षा विभाग के आदेश को अवैध ठहरा दिया। मतलब साफ है कि मध्यप्रदेश अशासकीय विद्यालय परिवार संस्था के सदस्य स्कूलों में अब एससीईआरटी सिलेबस से पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं नहीं करवानी होगी।

कोर्ट ने कहा कि अगर बोर्ड परीक्षा लेनी ही है तो याचिकाकर्ता स्कूलों में पढ़ाए जा रहे सिलेबस के आधार पर ही ली जाए। हालांकि हाईकोर्ट ने ये राहत सिर्फ याचिकाकर्ता यानि मध्यप्रदेश अशासकीय विद्यालय परिवार के सदस्य स्कूलों को दी है। संस्था के सचिव जुगल मिश्रा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग से ये अपेक्षा जताई है कि वो प्रदेश के सभी स्कूलों को राहत दें और एनसीईआरटी सिलेबस वाले स्कूलों में दूसरे सिलेबस से बोर्ड परीक्षा लेने के आदेश रद्दे कर दें।

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