उत्तराखंड

कोविड महामारी की चुनौतियों को पार कर एक बार फिर उत्तराखंड में पर्यटन ने पकड़ी रफ्तार, चारधाम यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

देहरादून।  कोविड महामारी की चुनौतियों को पार कर उत्तराखंड में पर्यटन ने रफ्तार पकड़ी है। कोरोना के कारण दो साल से प्रभावित चारधाम यात्रा इस बार पूरे जोरों पर चली तो कांवड़ यात्रा में भी जमकर श्रद्धालु आए। पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लॉकडाउन के कारण बीते दो साल तक चारधाम यात्रा बाधित रही। इस साल कोरोना संक्रमण की स्थित सामान्य होने के बाद चारधाम यात्रा बिना किसी बाधा के शुरू हुई।

केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार पांच महीने में तीर्थयात्रियों की संख्या ने रिकॉर्ड बनाया है। अब तक 38 लाख से अधिक तीर्थ यात्री चारधामों में दर्शन कर चुके हैं। उधर, इस साल सावन में हुई कांवड़ यात्रा में तीन करोड़ 80 लाख श्रद्धालु उत्तराखंड आए।

साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर

धार्मिक पर्यटन के साथ साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई है। नए ट्रैकिंग रूट चिन्हित करने के साथ नए स्थलों को पर्यटक सुविधाओं के लिए विकसित किया जा रहा है। प्रदेश के सीमांत गांवों में पर्यटन के लिए विकसित करने की योजना है। टिहरी झील को अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बनाने के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से केंद्र सरकार ने 1800 करोड़ योजना को मंजूरी है। इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है। 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना के तहत प्रत्येक जिले में एक थीम आधारित पर्यटक स्थल विकसित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने अब तक 32.15 करोड़ की राशि जारी की है।

रोपवे परियोजनाओं से लगेंगे पंख

केदारनाथ धाम, हेमकुंड साहिब समेत ऋषिकेश के नीलकंठ, स्कीइंग के विश्व प्रसिद्ध औली से गारसौं, रानीबाग से नैनीताल, खलियाटॉप से मुनस्यारी, पंचकोटी से टिहरी तक रोपवे के लिए डीपीआर बनाई जा रही है। प्रदेश में इन योजनाओं के धरातल पर उतरने के बाद आने वाले समय में पर्यटन को पंख लगेंगे। इसके अलावा कुमाऊं मंडल के ऐतिहासिक मंदिरों को मानसखंड सर्किट से जोड़ा जाएगा।

प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के साथ ही साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर सरकार काम कर रही है। हमारा प्रयास है कि शीतकालीन पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। इससे पूरे साल भर पर्यटक उत्तराखंड आएंगे। ईको टूरिज्म, कैरावान, ट्रैकिंग एवं हाइकिंग समेत अन्य साहसिक गतिविधियों के लिए नीति बनाई जा रही है। ऐतिहासिक मंदिरों को अलग-अलग सर्किटों से जोड़ा जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *