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गुजरात में आम आदमी पार्टी की कड़वी रेवड़ी

अजय दीक्षित
बड़े दम से कहा जा रहा है कि गुजरात के चुनाव में आप बड़ी संख्या में जीतकर अपनी सरकार बना रही है । उसमें जनमत से अपने आगामी मुख्यमंत्री का नाम भी घोषित कर दिया है । वह गुजरात कि पिछड़े वर्ग से आते हैं ।

अभी हाल में छ: राज्यों की सात विधानसभा सीटों के लिए हुये चुनाव में आप ने उत्तर प्रदेश की एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा था और वहां उसकी जमानत जब्त हो गई । असल में, पंजाब जीतने के बाद आम आदमी पार्टी की इच्छा और अभिलाषा बढ़ गई है, परन्तु गुजरात की स्थिति पंजाब से भिन्न है । गुजरात में पिछले 26 सालों से भाजपा ही सत्ता में हैं । अमित शाह और नरेन्द्र मोदी गुजरात से आते हैं । सरदार पटेल कांग्रेसी होने पर भी भाजपा के चहेते हैं क्योंकि एक तो वे गुजराती हैं दूसरे उनके सहारे नेहरू पर कटाक्ष किया जाना आसान है । महात्मा गांधी भी गुजराती है परन्तु उन पर सभी अपना दावा ठोकते हैं ।

असल में सूरत में हुए नगर पालिका चुनाव में 27 सीटें जीतने पर ही आम आदमी पार्टी का हौंसला बढ़ गया है यद्यपि वहां भाजपा ही कब्जे में है । एक आकलन के अनुसार आप और कांग्रेस को कुल वोटों का 20त्न से ज्यादा मिलने वाला नहीं है । यह सी.एस.डी.एस. की लोक नीति द्वारा किये गये सर्वे का परिणाम है । असल में एक आकलन के अनुसार आप कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगायेगी और भाजपा इससे अछूती रह जायेगी ।

यह बात तो सत्य है कि गुजरात में भाजपा में भी सभी कुछ ठीक नहीं है । तभी तो बीच सत्र में मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों को बदल दिया गया है । आप के पास कोई गुजराती विश्वसनीय चेहरा नहीं है । अरविन्द केजरीवाल या मनीष सिसोदिया गुजराती नहीं जानते । गुजरात की ग्रामीण जनता हिन्दी ठीक से समझती नहीं है । यदि इन दोनों नेताओं को गुजराती आती होती, तो बात कुछ और होती । फिर गुजराती अपनी अस्मिता में फ्री—बी को महत्त्व नहीं देते । वे कर्मठ होते हैं, कार्यशील होते हैं और अपने बल पर पैसा कमाना चाहते हैं । वे भिखारी नहीं है कि फ्री बिजली पर मर मिटे ।
आम आदमी पार्टी ने गुजरात के लिए विकास के लिए कोई मॉडल प्रस्तुत नहीं किया है । वे केवल अस्पताल और स्कूलों की बात करते हैं । यह सही है कि पूरे देश की तरह गुजरात में भी स्कूलों और अस्पतालों की हालत खराब है, पर यह चुनाव में एकमात्र मुद्दा नहीं बन सकता । गवर्नेंस का कोई मॉडल आप पार्टी ने प्रस्तुत नहीं किया है ।  पंजाब में कांग्रेस की अंतर्कलह के कारण वह वहां सरकार बना पायी फिर 2017 के चुनाव में आप पंजाब में प्रमुख विपक्षी दल था ।

 लोकनीति के सर्वे के अनुसार गुजरात में पिछले पांच साल में भ्रष्टाचार 77त्न बढ़ा है । आम आदमी पार्टी यदि इसे मुद्दा बनाये तो वह मोरबी में हुए पुल हादसे को भुला सकती है । पर इसके लिए सही आंकड़े चाहिए । असल में, आम आदमी पार्टी के पास सेवक तो हैं पर कद्दावर नेता नहीं हैं ।  बहुत से समर्थवान आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं । प्रमुख हैं—योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, शाजिया इलमी आदि  ।
असल में दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा की जंग के दुष्परिणाम भी गुजरात में आप को भोगने पड़ेंगे । फिर नरेन्द्र मोदी और अमित शाह बराबर गुजरात दौरे पर हैं ।

आम आदमी पार्टी अभी भी यदि अपना रास्ता बदल कर कांग्रेस से हाथ मिला ले तो शायद गुजरात में इस बार भाजपा हार जायेगी, परन्तु इसकी कोई संभावना नहीं है और कांग्रेस और आप में वर्तमान में 36 का आंकड़ा है । इसी से गुजरात में भाजपा का रास्ता साफ है । यदि गुजरात में आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्ष में आ जाये तो बड़ी बात होगी ।

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