स्थापना के वक्त से ही आरोपों से घिरे इस विश्वविद्यालय में अधिकारियों ने किए घोटाले, करोड़ों की सिक्योरिटी धनराशि का भी गबन
देहरादून। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अधिकारियों पर कई तरह से अनियमितता बरतने का आरोप है। विजिलेंस ने खुली जांच के बाद जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें छह बिंदुओं में करोड़ों के घोटाले का जिक्र है। आरोप है कि अधिकारियों ने किसी भी निर्माण के लिए शासन से अनुमति नहीं ली। निजी कॉलेजों से संबद्धता शुल्क तो लिया लेकिन उसे जमा नहीं कराया। करोड़ों रुपये की सिक्योरिटी धनराशि का भी गबन करने का आरोप है। स्थापना के वक्त से ही आरोपों से घिरे इस विश्वविद्यालय में अधिकारियों ने मनमर्जी से घोटाले किए।
बाह्य स्रोतों की सेवाओं पर भी बिना अनुमति के लाखों रुपये खर्च किए गए। इन घोटालों और अनियमितताओं को लेखा परीक्षा की रिपोर्ट में भी शामिल किया गया था। शासन ने विजिलेंस को पिछले साल 18 मई 2022 को जांच सौंपी थी। विजिलेंस ने वर्ष 2017 से 2022 तक हुई सभी गतिविधियों की जांच की। शासन को गत 16 फरवरी को रिपोर्ट सौंपी थी। शासन में इसका अवलोकन करने के बाद छह अप्रैल को मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए गए। विजिलेंस ने 13 अप्रैल को तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
निर्माण के लिए स्वीकृत बजट को खर्च करने की अनुमति शासन से नहीं ली गई। इसका विवेचना में आकलन किया जाएगा। हॉस्टल के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय के कॉपर्स फंड से 8.75 करोड़ रुपये बिना किसी अनुमति के निकाल लिए गए। अधिप्राप्ति नियमावली के विरुद्ध जाकर बाह्य सेवाओं पर 20.29 लाख रुपये की धनराशि अनियमित रूप से खर्च कर दी गई। अधिप्राप्ति नियमावली का उल्लंघन करते हुए विवि के अधिकारियों ने 28.08 लाख रुपये से विभिन्न सामग्री खरीद ली गई। महिला डॉक्टर को रिटायरमेंट के बाद सत्र लाभ के अंत पर नियुक्ति दे दी गई।
उन्हें 33.82 लाख का अतिरिक्त भुगतान किया गया। संबद्धता शुल्क न लेने पर 58.30 लाख रुपये का प्रतिक्रिया शुल्क भी विवि कोष में जमा नहीं कराया गया। कॉलेजों से प्राप्त 298.30 लाख रुपये और 386.50 लाख रुपये सिक्योरिटी धनराशि को भी विवि कोष में जमा नहीं कराया गया। विजिलेंस जांच में आया कि इस पूरी धनराशि से लाखों रुपये ब्याज के रूप में विवि को मिलो थे। नहीं मिलने से वित्तीय हानि हुई।
आरक्षण के नियमों के साथ छेड़छाड़ की गई। रोस्टर का भी ध्यान नहीं रखा गया और भर्तियां कर दी गईं। नियमों को ताक पर रखकर उपनल और पीआरडी के जरिये से 180 भर्तियां कर ली गईं। नीट की परीक्षा के बाद सफल छात्रों को बिना काउंसिल के प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला दे दिया गया। ऐसे 46 छात्रों को अनुचित लाभ दिया गया। इनका दाखिला यूजी और पीजी कोर्स में किया गया।