राजनीति

केजरीवाल ने मोदी का पुराना ट्वीट पोस्ट करते हुए केंद्र पर साधा निशाना, पूछा – अध्यादेश क्यों, सर?

नई दिल्ली। सेवा मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश पर केंद्र के साथ गतिरोध के बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल पुराने ट्वीट को दोबारा पोस्ट किया जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा था कि अध्यादेश क्यों?  मोदी का यह ट्वीट 2013 का है जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस पोस्ट को रीट्वीट करते हुए केजरीवाल ने पूछा, अध्यादेश क्यों, सर? मोदी ने 14 जुलाई 2013 को किए गए एक ट्वीट में लिखा, संसद सत्र वैसे भी होने वाला है। केंद्र संसद को भरोसे में लेकर एक अच्छा विधेयक क्यों नहीं बना सकता? अध्यादेश क्यों? नरेंद्र मोदी पूछते हैं।

पीएम मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, ने एक मुद्दे पर केंद्र में मौजूद कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए ट्वीट पोस्ट किया था। उसी ट्वीट को रीपोस्ट करते हुए केजरीवाल ने वही सवाल मोदी सरकार से पूछा है – अध्यादेश क्यों, सर?

दिल्ली के मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नकारने के लिए एक अध्यादेश जारी करने के बाद आई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि लगभग सभी सेवाओं से जुड़े अधिकार दिल्ली की राज्य सरकार के पास हैं।

केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के नाम से एक स्थायी प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश लाई है जिसके अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे। दिल्ली के मुख्य सचिव इसके सदस्य होंगे तथा दिल्ली के प्रमुख सचिव (गृह) इसके सदस्य सचिव होंगे। प्राधिकरण राष्ट्रीय राजधानी में ट्रांसफर पोस्टिंग, सतर्कता और अन्य प्रासंगिक मामलों से संबंधित मसलों पर दिल्ली के एलजी को सिफारिशें सौंपेगा। हालांकि, सिफारिशों पर उपराज्यपाल का निर्णय अंतिम होगा।

सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 11 मई को फैसला सुनाया कि यह मानना आदर्श है कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई दिल्ली सरकार का अपने अधिकारियों पर नियंत्रण होना चाहिए और एल-जी जनता पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन के अलावा हर चीज में चुनी हुई सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य है। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि अगर सरकार अपनी सेवा में तैनात अधिकारियों को नियंत्रित करने और उनकी जिम्मेदारी तय करने में सक्षम नहीं है, तो यह विधायिका के साथ-साथ जनता के प्रति उसकी जवाबदेही को कमजोर करता है। शीर्ष अदालत द्वारा अधिकारियों के तबादले और तैनाती समेत सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को नियंत्रण दिये जाने के बाद केंद्र सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *