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पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ पर किस तरह से करें पूजा, व क्या है पूजा का शुभ मुहुर्त, जानिए यहां-

करवाचौथ का व्रत हर साल सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है, वहीं इस साल करवाचौथ का व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसके लिए बाजारों में महिलाओं की भीड़ उमड़ रखी है। कहीं पर महिलाओं द्वारा करवाचौथ पूजन की सामग्री खरीदी जा रही है, तो कहीं पर सुहागिनें अपने हाथ- पैर पर मेंहदी लगा रही है। इसके साथ ही अपने साज- श्रृंगार के लिए भी महिलाएं खरीदारी कर रही है। कोरोनाकाल के बाद इस साल दो वर्ष बाद बाजारों में करवाचौथ की रौनक देखी जा रही है, जगह- जगह पर महिलाएं खरीदारी कर रही है, साथ ही बाजार भी करवाचौथ के लिए खूब सज रखे है। महिलाओं का सबसे प्रिय व्रत करवाचौथ का है, वहीं देशभर में बड़े पैमाने पर करवाचौथ का व्रत किया जाता है, इसके साथ ही अलग- अलग जगहों पर इसे अपने- अपने रीति- रिवाजों के अनुसार ही मनाया जाता है। सबका व्रत करने के तरीके से लेकर पूजा करने का अलग तरीका होता है, अपनी- अपनी मान्यताओं के अनुसार ही लोग व्रत करते है। कई जगहों पर महिलाएं एक साथ इकट्ठा होकर पूजा करती है, तो कहीं पर महिलाएं अपने- अपने घरों में ही पूजा करती है। करवाचौथ के व्रत का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है, इस दिन पर सुहागिनें अटल सुहाग, पति की दीर्घ आयु, स्वस्थ जीवन और मंगलकामना के लिए व्रत रखती है। सुबह से भूखा, प्यासा रहकर पति की मंगल कामना के लिए सुहागिनें व्रत रखती है, और रात को चांद का दीदार करने के बाद ही व्रत खोलती है। चांद के आने से पहले सुहागिनें व्रत नहीं खोलती, जब चांद आ जाता है, तब सुहागिनें चांद की पूजा करने के बाद अपने पति के पैर छूकर आशीर्वाद लेकर पति के हाथों पानी पीकर ही व्रत खोलती है।

इस प्रकार से करें करवाचौथ व्रत की पूजा

करवाचौथ के व्रत पर सुहागिनें सबसे पहले सारा जरुरी सामान एक जगह पर रख दें, जिससे बाद में सामान ढ़ूंढने में या फिर भूलने जैसी समस्या सामने नहीं आएगी। इसके बाद करवा में गेहूं और शक्कर का बूरा भर दें, साथ ही भरे हुए करवे पर इच्छा अनुसार दक्षिणा अर्थात पैसे रख दें। यदि किसी के पास गेहूं या फिर शक्कर का बूरा नहीं है, तो वह इसके बदले में करवे को चावल और चीनी से भी भर सकती है। पूजा वाले स्थान पर शिव- पार्वती, गणेश का चित्र रखकर धूप, दीप, रोली, चंदन को भी वहां पर रख दें, और करवाचौथ व्रत कथा की किताब को रखकर शाम के समय पूजा के शुभ मुहुर्त के अनुसार व्रत कथा को पढ़े। व्रत कथा को किसी कन्या से सुनें, यदि कोई कन्या न मिले तो खुद ही कथा को पढ़ लें। कथा को पढ़ते समय पूरा साज- श्रृंगार करें।

इसके बाद शाम के समय में जब चांद आ जाए, तो छननी से चांद को देखने के बाद फिर अपने पति को देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ देकर चंद्रमा की पूजा करें, और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें। बाद में पति का आशीर्वाद लेकर पति के हाथों से पानी पिएं, फिर मिठाई को अपने पति को खिलाएं, और बाद में पति के हाथों से खुद भी खाएं। यहां पर मिठाई की जगह आप कुछ भी मिष्ठान का प्रयोग कर सकते है। इसके बाद जो भी भोजन बनाया गया हो, उसे पहले थोड़ा- थोड़ा निकालकर चंद्रमा को चढाएं, और फिर अपने पति को परोसे, और इसके साथ ही खुद भी भोजन करें। करवाचौथ व्रत में यह बात ध्यान रखने योग्य है, कि जिस प्रकार की प्रक्रिया आप एक बार में करेंगे, ठीक उसी प्रकार से और बार भी व्रत करें। अर्थात जिस तरह से आप पहली बार में पूजा करेंगे, या जो भी पकवान पहली बार वाले व्रत में बनाएंगे, वहीं पकवान और ठीक उसी प्रकार की पूजा को अपने व्रत में करें। हालांकि यह अपने रिति- रिवाजों के अनुसार आप कर सकते है, हर एक जगह पर करवाचौथ का व्रत अपने अलग तरीके से मनाया जाता है।

क्या है पूजा करने का शुभ मुहुर्त जानिए-

रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा करना शुभ फलदायी माना गया है। आपको बता दें कि वैदिक पंचाग के अनुसार करवाचौथ के दिन शाम में रोहिणी नक्षत्र 6 बजकर 41 मिनट पर आरंभ हो रहा है। इसलिए इस समय के बाद ही पूजा करना शुभ रहेगा।

जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है या चंद्रमा नीच राशि में विराजमान हैं, वो लोग भी इस नक्षत्र में चंद्रमा की विशेष पूजा कर सकते हैं।

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